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सीहोर की पृष्ठ भूमी से उभरते हुए सितारे शशांक रमेश सक्सेना

Shashank Ramesh Saksena

Shashank Ramesh Saksena

विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र सीहोर-159 पर कई सालों से पूर्व विधायक श्री रमेश सक्सेना का दबदबा रहा है। उन्होंने ने अपनी मेहनत और अपने कड़े परिश्रम से इस क्षेत्र को सींचा है। ३ बार भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर श्री रमेश सक्सेना ने चुनाव जीता है और एक बार निर्दलीय कैंडिडेट के रूप में भी वे चुनाव जीते ह। अपने पिता के पद चिन्हो पर चलते हुए आज शशांक रमेश सक्सेना राजनीती की दुनिया में अपनी छाप छोड़ने के लिए तैयार हो चले हैं।

रमेश सक्सेना सीहोर विधानसभा

शशांक रमेश सक्सेना सीहोर

उनके विरोधी उन पर परिवारवाद और नेपोटिस्म का आरोप लगते है। परान्तु शशांक उसे पॉजिटिव रूप से देखते है और कहते है की बाबूजी का आशीर्वाद और उनका अनुभव अमूल्य है। पिता का अनुभव और उनकी युवा शक्ति परिवर्तन के लिए बिल्कुल अनुरूप वातावरण उपलब्ध करवाते है जो की सीहोर की राजनीति की मांग है और आवश्यकता भी है।

शशांक का मानना है की एक शिक्षित नेता दक्षता से निर्णय करता है और एक कम पढ़ा लिखा नेता परिस्थितियों के आधार पर निर्णय लेता है। इसलिए शशांक ने अपने जीवन में पहले अपनी पढाई को प्राथमिकता दी और खुद को क्षिक्षित किया, फिर उन्होंने अपने इंटरेस्ट और क्षमताओं को जानने में कुछ समय लिया और अंततः उन्हें उत्तर मिला सब चीज़ों को परखते हुए वह इस नतीजे पर पहुंचे की राजनीति उनके लिए एक बेहतर विकल्प है और बचपन से उन्हें राजनीती में रूचि भी रही है।

शशांक रमेश सक्सेना सीहोर Image Instagram

शशांक रमेश सक्सेना सीहोर के राजनीतिक एवं सामाजिक विचार

शशांक राजनीति को आज की सामाजिक परिस्थितियों से जोड़ कर देखते है और कहते है की आज की राजनीती में पॉपुलिस्ट सेंटीमेंट ज्यादा है बजाए तथ्यों के। वह यह भी कहते है की किसी भी क्षेत्र में प्रगति तभी संभव है जब उस जगह का सोशल फैब्रिक सही सलामत रहे। जिस हिसाब से आज कट्टरवाद बढ रहा है, या जाने अनजाने उसे दिशा दी जा रही है ऐसे में हम प्रगति के फलों को प्राप्त नहीं कर पाएंगे और प्राप्त कर भी लिया तो संभल नहीं पाएंगे।

एक राजनेता का उद्देश्य होता है की वह सबको साथ लेके चले और इक्विटी – ‘Equity’ के आधार पर सबको लाभित करे यही बाबा साहेब आंबेडकर के हमारा संविधान बनाने के समाये विचार थे। शशांक बजरंगबली के अनुयायी है और बहुत बड़े भक्त भी है हालांकि वे अपनी धार्मिक आस्था का स्वयं पालन करते है, उनका मानना है की धर्म एक बहुत ही पर्सनल सब्जेक्ट है और हमे सभी धर्मो को अपने साथ लेकर आगे बढ़ना चाहिए और सभी के विचारों का सम्मान करना चाहिए। और जिन विचारोंओ में अपनी आस्था हो उनका अनुसरण करना चाहिए। सार्वजानिक रूप से किसी और पर अपनी आस्था को थोपना वे उचित नहीं मानते। शशांक अपने एक इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखते है कि –

(1)संस्कार
(2)विचार
(3)व्यवहार
(4)प्रचार
(5)व्यापार
(6)सपना साकार
संस्कार से आता है विचार, विचार से बनता है व्यवहार ओर जैसा आपके बारे में व्यवहार होगा वैसा ही आपका होगा प्रचार जिसका बड़ गया प्रचार उसका अपने आप बड़ गया व्यापार ओर सपना हो जाएगा साकार 🙏🏻🙏🏻

उनकी वेशभूषा उनके धर्म को दर्शाती है और उनके कर्म उनके विचारों को। बड़े बुज़ुर्गों का आशीर्वाद, महिलाओं का सम्मान, खेल के प्रति रूचि, समाज के प्रति दायित्वा ये शभी उनके व्यक्तित्व का अभिन्न अंग है।उनका मानना है की व्यक्ति को मन से और तन से फिट यानि तंदुरुस्त रहना चाहिए, इसलिए अपने क्षेत्र में वे स्वयं पद यात्रा और जान संपर्क करना उचित समझते है। इससे उन्हें एक पर्सनल टच मिलता है और जनता की समस्याओं से भी वे अवगत होते है।

शशांक

सीहोर के लिए क्यों शशांक हे बेहतर

शशांक किन मुद्दों पर राजनीती में खुद को अपने प्रतिद्वंदियों की अपेक्षा बेहतर देखते है।
१ काम उम्र (आज हम किसी भी सरकारी सेवा में कम उम्र से अफसर की भर्ती करवाते है क्यूंकि उनका आज की परिस्थितियों से जुड़ाव होता है)
२ पिता का अनुभव और मार्गदर्शन
३ वे सभी को साथ में लेकर चलने वाले नेता है (बड़े, बुजुर्गों का सम्मान, नारी शक्ति का आवाहन, समाज को जोड़े रखने का निरंतर प्रयास)
४ किसानो से लगाव और उनसे जुडी समस्याएं
५ युवाओं में बढ़ती बेरोज़गारी की समस्या
६ अधिकारीयों में भ्रस्टाचार
७ न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता

शशांक बताते है आज भी सत्ता से बहार रहने के बाद भी किसानो की फसल जल जाने पर किसान भाई बंधू उनके और उनके पिता श्री रमेश सक्सेना के पास आते है ताकि इस आपदा से सर्कार द्वारा उनको रहत प्रदान की जाए। इसका मतलब साफ़ है की मौजूदा स्थिति में प्रशाशन या वर्त्तमान प्रतिनिधि जमीनी स्थितियों ये अनभिज्ञ है और जनता उनसे संपर्क करने में झिझक रही है। ऐसी स्थितियों को वे अवसर के रूप में देखते है और मानते है की भगवन ने उन्हें आशीर्वाद दिया है कि वे वांछित लोगो के हक़ के लिए आवाज़ उठाए।

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